क्या बारिश की बूंदे काफी हैं गागर को भरने के लिए ?
क्या तिनके का सहारा काफी है सागर को तरने के लिए ?
ये काफी कितना होता है!
मन कचोट हृदय रोता है |
नंगी हथेली एक सिक्के को छूने भर को तरसती है |
ना काफी उसके बटुए में समायी वो अमीरों की बस्ती है |
ये काफी कितना होता है !
जो आँसुओं से हथेलियाँ धोता है |
ऊँचे उसके ख्वाब मगर मजबूर है वो ना जाने क्यों |
धूल उड़ाता ज़मीं पर दूर उसका आसमाँ है ये माने क्यों |
ये काफी कितना होता है !
जो बेवजह ख़ुद को खोता है |
दूसरों की नज़र से देख अगर तो तेरा काफी पूरा है |
वो दूसरा बैठा सिर झुकाए अपने हालात से अधूरा है |
ये काफी कितना होता है !
जो चैन से रातों को सोता है |
- नेहा